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Dolly Kitty Aur Woh Chamakte Sitare

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  डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ फ़िल्म में ‘लिपिस्टिक’ का रंग नज़र नहीं आया!  - ए॰ एम॰ कुणाल अलंकृता श्रीवास्तव निर्देशित फ़िल्म “डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे“ ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। अलंकृता इस बार भोपाल की तंग गलियों से निकल कर नोएडा के कंक्रीट शहर में रह रही उन महिलाओं की आवाज़ को सिल्वर स्क्रीन पर उतारने की कोशिश की, जो सामाजिक बंदिशों के बुर्के में कैद है। अलंकृता की पिछली फ़िल्म ‘लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का,’ नए ख्यालात में जीने की चाह रखने वाली महिलाओं की कहानी थी। उसी कहानी को आगे बढ़ाते हुए इस फ़िल्म में “डॉली और किट्टी” की भूमिका में कोंकणा सेन शर्मा और भूमि पेडनेकर, सामाजिक बंदिशों को तोड़ती और छोटे शहरों की महिलाओं को मोर पंख लगाती नज़र आएगी। एक दौर की यौन वर्जनाएं जो चरम नैतिकता के रुप में स्थापित होती है वही दूसरे दौर में मनुष्य को अपनी उन्मुक्ति में बाधा के रुप में महसूस होने लगती है। स्थापित नैतिक मान्यताओं के विरुद्ध नई स्थापनाओं के बीच एक निरंतर टकराहट की स्थिति बनी रहती है और यह टकराहट अलंकृता श्रीवास्तव ने फ़िल्म ‘लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का’

Hostages Season 2

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हॉस्टेजेस-2 : बारह एपिसोड का थ्रिलर और सस्पेंस से भरपूर सोप ओपेरा ! – ए. एम. कुणाल इजरायली क्राइम थ्रिलर पर आधारित ‘‘हॉस्टेजेस’’ का सीज़न टू ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म डिज़्नी हॉट स्टार पर रिलीज हो चुका है। भारत से पहले अमेरिका में भी इसी नाम की वेब सीरीज बनी थी पर पहले सीजन के खराब प्रदर्शन के कारण दूसरा सीजन वहां कभी बना ही नहीं। ऐसे में सीजन टू बनाने के लिए निर्माता समीर नायर की तारीफ तो बनती है। इस बार निर्देशन की कमान सुधीर मिश्रा की बजाय सीजन वन के डीओपी और सहायक निर्देशक रहे सचिन कृष्णन ने संभाली हैँ। इस सीरीज़ के साथ लम्बे समय के बाद अभिनेता डीनो मोरिया ने वापसी की हैँ। निगेटिव किरदार निभा रहे डीनो मोरिया हॉस्टेजेस सीज़न टू का स्पेशल पैकेज है। वह अपनी बेहतरीन अदाकारी से अभिनेता रोनित रॉय के किरदार पर सूर्य ग्रहण न सही, चंद्र ग्रहण लगाने में जरूर सफल रहे हैँ। फर्स्ट सीजन के दो अहम अभिनेता अनंग्शा बिस्वास और सूर्या शर्मा को इस बार एक्स्ट्रा खिलाड़ी के रूप में रखा गया है। उनकी एंट्री आख़िरी दो एपिसोड में होती है। जबकि अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा को बॉय बॉय कर दिया गया है। टिस्का चोपड़ा की भरपाई

JL50

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  जेएल 50: टाइम मशीन के बिना टाइम ट्रैवल! -ए॰ एम॰ कुणाल इन दिनो ओटीटी प्लैटफॉर्म्स पर देओल फ़ैमिली छाई हुई है। पहले बॉबी देओल और अब अभय देओल ने इंट्री की है। अभय देओल और पंकज कपूर द्वारा अभिनीत वेब सीरीज़ “जेएल 50” साइंस फिक्शन स्टोरी है, जिसमें टाइम ट्रैवल थ्योरी का तड़का है। इस वेब सीरीज़ को देखते समय दर्शक बिना “टाइम मशीन” के टाइम ट्रैवल का मज़ा ले सकते है। “कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों,” के तर्ज़ पर पंकज कपूर आपको चाटर प्लेन से आसमान में छेद कर 35 साल पीछे ले जाते नज़र आयेंगे। जेएल 50 की प्रोड्यूसर रीतिका आनंद हैँ , जो इस फ़िल्म की लीड हिरोइन भी है। रीतिका आनंद का एक बेहतरीन फिल्म को चार एपिसोड की वेब सीरीज बनाने का आईडिया समझ से परे है। वैसे भी जेएल 50 देखने में वेब सीरीज़ कम, फ़िल्म ज़्यादा लगती है। इसके आधे-आधे घंटे के चार एपिसोड है, जिसे दर्शक फ़िल्म की तरह एक बार में पूरी देख सकते है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाला दौर ओटीटी प्लैटफॉर्म्स का ही है। ऐसे में किसी को मार्केट में टिकना है तो उसे अपने कंटेंट और क्वॉलिटी पर भी ध्यान देना

Aashram

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  आश्रम: पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त! -ए एम कुणाल अभिनेता बॉबी देओल ने पिछले शुक्रवार को “क्लास ऑफ 83” और इस हफ़्ते “आश्रम” वेब सीरीज के साथ दमदार वापसी की है। प्रकाश झा द्वारा निर्देशित इस वेब सीरीज में धर्म की आड़ में चलने वाले गोरखधंधों की परतें खोलने की कोशिश की गई है। बॉबी देओल का का किरदार बाबा राम रहीम और उन जैसे पाखंडी बाबाओं की करतूतें याद दिलाता हैँ । हालाँकि किसी तरह के विवाद से बचने के लिए निर्देशक प्रकाश झा आश्रम की कहानी को पूरी तरह से काल्पनिक बता रहे है। आस्था के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेलते हुए बाबा राम रहीम ने जिस तरह से पाप की दुनिया खड़ी की थी और रसूखदार लोगों को अपनी उंगलियों पर नचा कर हरियाणा के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बन गए थे, प्रकाश झा का काल्पनिक बाबा भी उसी राह पर चलता नज़र आता है। मोक्ष के नाम पर छल, नारी उद्धार के नाम पर शोषण, अस्पतालों और शिक्षा की आड़ में गोरखधंधा, ये सब बाबा निराला (बॉबी देओल) का चाल, चरित्र और चेहरा है। अब बाबा निराला का चरित्र किसके जैसा दिखता है, ये आप एमएक्स प्लेयर पर खुद देख सकते है। प्रकाश झा ने ऐसे कई सवाल है, जिसका जवाब दर्

Sadak 2

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  सड़क-2 : बाबूजी धीरे चलना, बड़े गड्ढे है इस राह में ! ए एम कुणाल दो दशक के बाद निर्देशन की कमान संभालने वाले महेश भट्ट की फ़िल्म सड़क 2 डिज्नी+हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। भट्ट साहब के फ़ैन्स के लिए यह फ़िल्म इसलिए भी खास है, क्योंकि वे 21 साल बाद किसी फ़िल्म का निर्देशन कर रहे हैं। भट्ट साहब की आखिरी फ़िल्म “कारतूस” थी, जिसके हीरो भी संजय दत्त थे। उसके बाद सबको उम्मीद थी कि निर्देशन छोड़ चुके भट्ट साहब अपनी बेटी को खुद लॉंच करेंगे पर अभिनेत्री आलिया भट्ट ने करण जौहर की फ़िल्म “स्टूडेंट ऑफ द ईयर” से अपना करियर शुरु किया। अपने पापा के साथ काम करने के लिए आलिया को आठ साल का इंतज़ार करना पड़ा। 90 के दशक की “सड़क” फिल्म महारानी का किरदार निभाने वाले अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर के लिए ज्यादा जानी जाती है, इसलिए जब उसके सीक्वल की घोषणा हुई, तो सबका एक ही सवाल था कि महारानी कौन होगा? फिल्म सड़क में पूजा भट्ट और संजय दत्त के किरदार का नाम दर्शकों को शायद ही याद होगा पर आज भी सदाशिव अमरापुरकर उर्फ “महारानी” सबको याद हैं। सड़क की सीक्वल में मकरंद देशपांडे और भट्ट साहब के लिए सदाशिव अमरापुरकर एक चु

Class Of 83

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                  क्लास ऑफ़ 83: बॉबी देओल का पांच का दम!                                       -ए॰ एम॰ कुणाल शाहरुख खान और गौरी खान प्रोडक्सन रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट की फ़िल्म ‘क्‍लास ऑफ 83’ नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो गयी है। इस फ़िल्म को देखर लगता है कि बॉबी देओल का बेस्ट आना अभी बाक़ी है। शानदार ऐक्टिंग और दमदार डायलॉग्स के बल पर पूरी फ़िल्म में बॉबी छाए रहें हैं। इस फ़िल्म के साथ बॉबी देओल ने डिजिटल प्लेटफ़ोरम पर अपना डेब्यू कर लिया हैं। अतुल सभरवाल निर्देशित ‘क्लास ऑफ़ 83’ की कहानी एस. हुसैन ज़ैदी के नॉवल ‘क्लास ऑफ़ 83- द पनिशर्स ऑफ़ मुंबई’ से ली गयी है। मुंबई अंडरवर्ल्ड की कहानी बहुत पुरानी है पर इस फ़िल्म में मुंबई पुलिस पर ज़्यादा फ़ोकस किया गया है। “क्लास ऑफ़ 83′ मुंबई में पहले एनकाउंटर स्क्वॉड के बनने की कहानी है। इस फ़िल्म का बॉबी देओल का किरदार विजय सिंह, “शोले” का ठाकुर बलदेव सिंह और “कर्मा” का राणा विश्व प्रताप सिंह से ज़्यादा लक्की है। क्योंकि उसके पास पांच पांडव है। पुलिस ऑफिसर विजय सिंह उर्फ़ बॉबी देओल और उसके पांच जबांज अफ़सरों की कहानी 80 के दशक का बॉम्‍बे, कॉटन मिल्‍स की

Khuda Haafiz

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                                             खुदा हाफिज: दो मारा पर सॉलिड मारा                                                                        – ए॰ एम॰ कुणाल विद्युत जामवाल की फ़िल्म खुदा हाफिज डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। फारुक कबीर द्वारा लिखी और निर्देशित खुदा हाफिज सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। तिग्मांशु धूलिया निर्देशित “यारा” के दो हफ़्ते बाद विद्युत की दूसरी फिल्म “खुदा हाफिज” रिलीज़ हुई है । तिग्मांशु की फ़िल्म से काफ़ी उम्मीद थी पर फारुक कबीर बाज़ी मारने में सफल रहे है। विद्युत ने अपनी शानदार ऐक्टिंग से “कमांडो“ को “खुदा हाफिज” कर दिया है। इस फ़िल्म में विद्युत जामवाल ने एक बेबस आम आदमी का किरदार निभाया है, जो अपनी पत्नी को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है। इस फ़िल्म में एक्शन कम, इमोशन ज़्यादा है। विद्युत जामवाल को देखकर यकीन कर पाना मुश्किल हैं कि एक एक्शन स्टार ने इमोशमनल सीन को किस ख़ूबसूरती से निभाया है। ख़ासकर जब समीर चौधरी उर्फ़ विद्युत जामवाल नोमान में पहली बार अपनी पत्नी तक पहुँचता है और उसे कहा जाता है कि दस मिनट वेट करो, वह दूसरे ग्राहक के साथ है। उस व